एक दिन में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी के साथ बुधवार को देशभर से कोविड-19 के 5,376 नए मामले सामने आए। दिल्ली ने भी बुधवार को नई ऊंचाई छूते हुए संक्रमण के 534 नए केस दर्ज किए। पिछले 5 दिनों की बात की जाए तो दैनिक आधार पर कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले हैं। इसके अलावा लाखों प्रवासी मजदूरों के उनके गावों में लौटने के चलते हालात बदतर हो सकते हैं। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 40 हजार के करीब पहुंच गई है।

यात्रा करने की आस लगाए बैठे लोगों के लिए 2 अच्छी खबरें हैं: हवाई यात्रा 25 मई से कई शर्तों के साथ फिर से शुरू होने जा रही है, और साथ ही रेलवे ने भी 200 स्पेशल नॉन-एसी ट्रेनों के लिए टिकटों की बुकिंग आज (गुरुवार) से शुरू कर दी है। इसका मतलब यह नहीं है कि महामारी की हालत में सुधार हुआ है। बल्कि ठीक इसके उलट ताजा मामलों की संख्या हर रोज बढ़ रही है। सभी को अपना ख्याल रखने और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पलन करने की जरूरत है।

बुधवार को अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया था कि कैसे मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, भोपाल और इंदौर में COVID -19 पीड़ितों के लिए पहले से ही कब्रें खोदी जा रही हैं। इन कब्रों को आम तौर पर 4 से 6 फीट गहरा खोदा जाता है, लेकिन COVID-19 के स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के मुताबिक, कब्र का 10 फीट गहरा होना जरूरी है। इसके साथ ही जनाजे की नमाज पढ़ने के लिए वहां परिवार के सिर्फ 2 सदस्यों को रहने की इजाजत है। कुछ शहरों मे तो कब्रों को खोदने का काम जेसीबी मशीनों के द्वारा किया जा रहा है।

22,500 मामलों और 800 से अधिक लोगों की मौत के साथ मुंबई सबसे खतरनाक हॉटस्पॉट नजर आ रहा है। कोरोना वायरस से मरने वाले प्रत्येक 4 भारतीयों में से एक मुंबईकर है। कब्रिस्तानों का इंतजाम देखने वालों पर इस समय जबर्दस्त दबाव है और वे एडवांस में कब्रों की खुदाई कर रहे हैं। दूसरा सबसे ज्यादा परेशान करने वाला हॉटस्पॉट अहमदाबाद है, जहां लगभग 9,000 मामले सामने आए हैं और 576 से ज्यादा लोगों की जान गई है। जमालपुर, बेहरामपुरा, दानिलिमदा, खड़िया, गोमतीपुर, सरसपुर, दरियापुर और शाहपुर शहर के कुछ मुस्लिम बहुल इलाके हैं, जहां से सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले हैं। यहां भी आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए कब्रिस्तानों में कब्रें खोदकर तैयार रखी जा रही हैं।

सूरत, भोपाल और इंदौर जैसे अन्य शहरों को भी COVID-19 के मामलों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इन शहरों में भी कब्रिस्तानों की देखरेख करने वाले पहले से ही तैयारी कर रहे हैं। श्मशान घाटों पर भी स्थिति गंभीर है। विद्युत शवदाह गृह में शवों का दाह संस्कार तो हो जा रहा है, लेकिन अस्थियों को रखने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चूंकि अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए परिवार के केवल 2 सदस्यों को अनुमति दी जाती है, इसलिए वे दाह संस्कार के बाद जल्दी ही चले जाते हैं, और लॉकडाउन के कारण ज्यादातर श्मशानों में परिवार वाले अस्थियां लेने नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि अस्थियों को फिलहाल नदी में विसर्जित करना संभव नहीं है। अस्थियों को रखने के लिए कई श्मशानों में लॉकर बनाए गए हैं।

मैंने दर्शकों में दहशत पैदा करने के लिए कब्रों के दृश्य नहीं दिखाए, बल्कि मेरा मकसद उन्हें इस महामारी के फैलने के बाद आने वाली चुनौतियों को लेकर आगाह करना था। हममें से हरेक को पूरी तरह सावधान और सतर्क रहने की, दफ्तरों और बाजारों में सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने की और अपने परिवार के सदस्यों को इस वायरस के संकट से बचाए रखने की जरूरत है।

बुधवार को प्रवासियों के लिए एक अच्छी खबर आई। रेलवे ने 204 स्पेशल ट्रेनें चलाकर उन्हें उनके गृह जनपदों तक पहुंचाया। बुधवार को महाराष्ट्र से 65 और दिल्ली से 22 स्पेशल ट्रेनें चलीं और साथ ही 92 स्पेशल ट्रेनें प्रवासियों को लेकर यूपी के विभिन्न शहरों में पहुंचीं। अगले 48 घंटों में 206 और स्पेशल ट्रेनें चलेंगी। अब तक लगभग 1,000 ट्रेनों में 16 लाख से अधिक प्रवासी उत्तर प्रदेश लौट चुके हैं। यूपी सरकार ने 6 लाख प्रवासियों को उनके गांवों, कस्बों और शहरों तक पहुंचाने के लिए रोडवेज की 12 हजार बसें तैनात की हैं।

मुझे उस दिन का इंतजार है जब लोगों को हाइवे पर एक भी प्रवासी पैदल चलता हुआ नहीं मिलेगा। ये प्रवासी मजदूर, जो अपनी कमाई का जरिया खो चुके हैं, सिर्फ एक ही बात लगातार कहते हैं, ‘हम घर जाना चाहते हैं।’ वे वादे और दलीलें सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। हममें से अधिकांश की तरह इन मजदूरों को भी पता नहीं है कि इस महामारी का अंत कब होगा। कोई भी पूरे यकीन के साथ वादा नहीं कर सकता है कि एक निश्चित तारीख तक महामारी का खात्मा हो जाएगा। ऐसे अनिश्चित भविष्य के साथ, इन मजदूरों ने घर लौटने और स्थिति के सामान्य होने तक इंतजार करने का फैसला किया।

आज से रेलवे प्रवासियों के लिए 400 स्पेशल ट्रेनें चलाएगा, और उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा पहले ही हजारों बसें चलाई जा रही हैं। नई चुनौती अब उन ग्रामीण इलाकों में पैदा होगी, जहां ये प्रवासी पहुंचेंगे। इनमें से कई प्रवासी वायरस के कैरियर हो सकते हैं और ग्रामीण इलाकों में खराब मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए कहा जा सकता है कि कम्युनिटी हेल्थ प्लानर्स के लिए इस चुनौती का मुकाबला करने में मुश्किलें पेश आ सकती हैं।

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