कोरोना संक्रमण की शुरुआत में भारत टेस्टिंग किट का आयात करता था, लेकिन अब हर महीने देश में ही 30 लाख किट बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, जून माह में देश की जरूरत के हिसाब से शत-प्रतिशत किट यहीं पर बनने लग जाएंगे। केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव डॉ. रेणू स्वरूप ने शनिवार को राजस्थान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राजस्थान स्ट्राइड वर्चुअल कॉन्क्लेव में इस बात की जानकारी दी।
इस वर्चुअल कॉन्क्लेव में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिये भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उपायों पर बातचीत की गई। कॉन्क्लेव में डॉ. रेणू स्वरूप ने कहा कि यह महामारी शुरू होने के 15 दिन के अंदर ही इस रोग की ट्रेकिंग और टेस्टिंग किट आदि के करीब 500 उपाय हमारे सामने आ गए थे। अब जल्द ही भारत हर मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा। यहां के स्टार्टअप नए विचारों पर काम कर रहे हैं और दुनिया भारत को मैन्युफैक्चिरिंग हब के रूप में देख रही है।
कॉन्क्लेव में केंद्र सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार प्रोत्साहन विभाग के सचिव डॉ. गुरप्रसाद मोहपात्रा ने बताया कि स्टार्टअप के लिए केंद्र सरकार सीड मनी और क्रेडिट गारंटी स्कीम लागू करने पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप्स अच्छे उत्पाद बना रहे हैं, लेकिन उन्हें बाजार नहीं मिल रहा। उन्होंने बताया कि सरकारों को उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए स्थान उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां अब छोटे शहरों की ओर जा रही हैं। इनके लिए एक नीति बनाने का काम चल रहा है, जिसे जल्द ही जनता के सुझावों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। इसके बाद इसको लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महामारी की शुरुआत में देश में सिर्फ 17 हजार वेंटिलेटर थे और दो महीने में ही इनकी मांग 70 हजार तक पहुंच गई थी। अब स्टार्टअप कंपनियां इनको बना रही हैं। इसी तरह पीपीई किट और मास्क भी बाहर से आयात किए जाते थे, आज 600 कंपनियां किट और मास्क का निर्माण कर रही हैं। केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बतायाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी। उन्होंने कहा कि भारत शोध और अनुसंधान में पीछे नहीं है। शोध और अनुसंधान के जर्नल्स में रिसर्च पेपर प्रकाशित किए जाने के मामले में भारत का दुनिया में तीसरे स्थान है, लेकिन बड़ी समस्या यह है कि यह शोध और अनुसंधान बाजार तक नहीं पहुंच रहा है। तकनीक को लोगों की जरूरत के अनुसार विकसित करने की आवश्यकता है। कॉन्क्लेव की संचालन राजस्थान की विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव मुग्धा सिन्हा ने किया। उन्होंने कहा कि कॉन्क्लेव में विज्ञान पत्रकारिता और बेसिक साइंस में शोध व अवसरों पर भी चर्चा की गई।

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